सीतापुर: प्रधान पर गबन का आरोप है तो कौन सा आरोप सही है
मछरेहटा-सीतापुर। विकास खंड मछरेहटा के प्रधान प्रतिनिधि ने प्रधान पर पीएम श्री योजना के तहत लाखों रुपये के गबन का आरोप लगाया है।
मछरेहटा-सीतापुर। विकास खंड मछरेहटा के प्रधान प्रतिनिधि ने प्रधान पर पीएम श्री योजना के तहत लाखों रुपये के गबन का आरोप लगाया है। यह आरोप उन्होंने ग्राम पंचायत भिठौरा के कम्पोजिट स्कूल के शिकायती पत्र में लगाए हैं। गुरुवार को जब वह वहां गए तो देखा कि स्कूल में पीएम श्री योजना के तहत कोई कार्य नहीं हुआ है। शिकायतकर्ता के प्रधान प्रतिनिधि पुष्पेंद्र सिंह ने बताया कि कई बार खंड शिक्षा अधिकारी को मामले से अवगत कराने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। नतीजतन उन्हें जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से शिकायत दर्ज करानी पड़ी।
गौरतलब हो कि ग्राम पंचायत भिठौरा के कम्पोजिट स्कूल के प्रधान ने कोई कार्य नहीं कराया। जब निदेशालय की टीम जांच करने स्कूल पहुंची तो पता चला कि कोई कार्य नहीं हुआ है। नतीजतन शिकायतकर्ता ने खंड शिक्षा अधिकारी अजय गुप्ता मौर्य से बार-बार फोन व लिखित रूप से शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। स्थानीय लोगों के अनुसार चार दिन पहले ही स्कूल में ईंटें पहुंचाई गई हैं। प्रधान प्रवक्ता पुष्पेंद्र सिंह के अनुसार पिछले दस वर्षों से प्रधान अवधेश कुमार ही स्कूल की देखरेख करते हैं। कोविड काल में एमडीएम खाद्यान्न के संबंध में पूरी जानकारी नहीं दी गई है।
प्रधान और सचिव को दी गई जानकारी अलग-अलग है। इसी प्रधान अवधेश कुमार के अनुसार पीएम श्री योजना का पैसा दो फर्मों को दिया गया है- एक ईंट भट्ठे के लिए और दूसरी अन्य के लिए- कुल मिलाकर करीब तीन लाख उनसठ हजार रुपये। मार्च में बंदी के कारण पैसा निकाल लिया गया और दावा किया गया कि यदि उस महीने पैसा ट्रांसफर नहीं किया जाता तो वापस आ जाता। साथ ही उन्होंने कहा कि स्कूल में काम चल रहा है और लोक निर्माण के जिला समन्वयक और खंड शिक्षा अधिकारी भी इस मामले से अवगत हैं।
अब चिंता यह है कि पैसा निकलने के दो महीने बाद भी पीएम श्री योजना की बाल वाटिका का काम पूरा क्यों नहीं हुआ? और एमडीएम के खाद्यान्न का क्या हुआ? इस मामले की जांच से पता चलेगा कि कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ। आखिर शिकायत के बाद भी अधिकारी क्यों नहीं सुधरे? साथ ही एक सवाल यह भी उठता है कि शिकायतकर्ता का दावा है कि इस मामले में उसने कई बार खंड शिक्षा अधिकारी से शिकायत की, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। वहीं दूसरी ओर खंड शिक्षा अधिकारी ने शिकायत मिलने से ही इनकार कर दिया। अब यह जांचकर्ताओं पर निर्भर है कि ऐसे मामले में कौन झूठ बोल रहा है और कौन सच बोल रहा है।
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